Posts

Showing posts from September, 2024

ख्वाहिश नहीं मुझे मशहूर होने की

 एक अज्ञात कवि की एक "सुंदर कविता", जिसके एक-एक शब्द को, बार-बार "पढ़ने" को "मन करता" है-_* ख्वाहिश नहीं, मुझे मशहूर होने की,"         _आप मुझे "पहचानते" हो,_         _बस इतना ही "काफी" है।_😇 _अच्छे ने अच्छा और_ _बुरे ने बुरा "जाना" मुझे,_         _जिसकी जितनी "जरूरत" थी_         _उसने उतना ही "पहचाना "मुझे!_ _जिन्दगी का "फलसफा" भी_ _कितना अजीब है,_         _"शामें "कटती नहीं और_   -"साल" गुजरते चले जा रहे हैं!_ _एक अजीब सी_ _'दौड़' है ये जिन्दगी,_    -"जीत" जाओ तो कई_  -अपने "पीछे छूट" जाते हैं और_ _हार जाओ तो,_ _अपने ही "पीछे छोड़ "जाते हैं!_😥 _बैठ जाता हूँ_ _मिट्टी पे अक्सर,_         _मुझे अपनी_         _"औकात" अच्छी लगती है।_ _मैंने समंदर से_ _"सीखा "है जीने का तरीका,_         _चुपचाप से "बहना "और_         _अपनी "मौज" में रहना।_ _ऐसा नहीं कि मुझमें_ _कोई "ऐब "नहीं है,_    ...