आहिस्ता चल जिंदगी
आहिस्ता चल जिंदगी, अभी कई कर्ज चुकाने बाकी है। कुछ दर्द मिटाना बाकी है, कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी है। रफ़्तार में तेरे चलने से, कुछ रूठ गए कुछ छूट गए। रूठों को मनाना बाकी है, रोतों को हँसाना बाकी है। कुछ रिश्ते बनकर, टूट गए, कुछ जुड़ते - जुड़ते छूट गए। उन टूटे - छूटे रिश्तों के जख्मों को मिटाना बाकी है। ...