देशभक्ति कविताएँ
इस पन्द्रह अगस्त पर मैंने अपने कार्यालय में तीन कविता सुनाई थी। उनमे से एक हमारे भूतपुर्व प्रधानमंत्री "श्री अटल बिहारी वाजपेयी" की रचना है। उस रचना का नाम है :- "आजादी अभी अधूरी है " वह कविता इस प्रकार है :- पन्द्रह अगस्त का दिन कहता - आज़ादी अभी अधूरी है। सपने सच होने बाक़ी हैं, राखी की शपथ न पूरी है॥ जिनकी लाशों पर पग धर कर आजादी भारत में आई। वे अब तक हैं खानाबदोश ग़म की काली बदली छाई॥ कलकत्ते के फुटपाथों पर जो आंधी-पानी सहते हैं। उनसे पूछो, पन्द्रह अगस्त के बारे में क्या कहते हैं॥ हिन्दू के नाते उनका दुख सुनते यदि तुम्हें लाज आती। तो सीमा के उस पार चलो सभ्यता जहाँ कुचली जाती॥ इंसान जहाँ बेचा जाता, ईमान ख़रीदा जाता है। इस्लाम सिसकियाँ भरता है,डालर मन में मुस्काता है॥ भूखों को गोली नंगों को हथियार पिन्हाए जाते हैं। सूखे कण्ठों से जेहादी नारे लगवाए जाते हैं॥ लाहौर, कराची, ढाका पर मातम की है काली छाया। पख़्तूनों पर, गिलगित पर है ग़मगीन ग़ुलामी का साया॥ बस इसीलिए तो कहता हूँ आज़ादी अ...