क़दम क़दम बढ़ाए जा ख़ुशी के गीत गाए जा; ये ज़िंदगी है क़ौम की, तू क़ौम पे लुटाए जा। उड़ी तमिस्र रात है, जगा नया प्रभात है, चली नई जमात है, मानो कोई बरात है, समय है, मुस्कुराए जा, ख़ुशी के गीत गाए जा। ये ज़िंदगी है क़ौम की तू क़ौम पे लुटाए जा। जो आ पड़े कोई विपत्ति मार के भगाएँगे, जो आए मौत सामने तो दाँत तोड़ लाएँगे, बहार की बहार में बहार ही लुटाए जा। क़दम क़दम बढ़ाए जा, ख़ुशी के गीत गाए जा। जहाँ तलक न लक्ष्य पूर्ण हो समर करेंगे हम, खड़ा हो शत्रु सामने तो शीश पै चढ़ेंगे हम, विजय हमारे हाथ है विजय-ध्वजा उड़ाए जा। क़दम क़दम बढ़ाए जा, ख़ुशी के गीत गाए जा। क़दम बढ़े तो बढ़ चले, आकाश तक चढ़ेंगे हम, लड़े हैं, लड़ रहे हैं, तो जहान से लड़ेंगे हम; बड़ी लड़ाइयाँ हैं तो बड़ा क़दम बढ़ाए जा। क़दम क़दम बढ़ाए जा ख़ुशी के गीत गाए जा। निगाह चौमुखी रहे, विचार लक्ष्य पर रहे, जिधर से शत्रु आ रहा उसी तरफ़ नज़र रहे, स्वतंत्रता का युद्ध है, स्वतंत्र होके गाए जा। क़दम क़दम बढ़ाए जा, ख़ुशी के गीत गाए जा। ये ज़िंदगी है क़ौम की तू क़ौम पे लुटाए जा।