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Showing posts from September, 2025

बन्दर मामा

 बन्दर मामा  पहन पैजामा, दावत खाने आये।  ढीला  कुरता , टोपी, जूता   पहन बहुत इतराए।  रसगुल्ले पर जी ललचाया, मुँह में रखा गप से।  नरम नरम था, गरम गरम था, जीभ जल गई लप से।  बन्दर मामा रोते रोते  वापस घर को आए।  फेंकीं टोपी, फेंका जूता, रोए और पछताए।

नानी

 नानी  नानी सुनो कहानी, एक था राजा एक थी रानी।  राजा बैठे घोड़े पर , रानी बैठे पालकी मे।  बारिश आई बरसा पानी , भीगा राजा बच गई रानी। 

मेरे बेटे के लिए कविताएं

मेरे बेटा जो एलकेजी में है। उसके लिए, मैंने इस ब्लॉग प्रविष्टि को बनाया है। यहाँ, मैं उसकी कक्षा की कविताये  और छोटी कहानियाँ पोस्ट करना शुरू करूंगा। यह हमारे लिए है, जब हम बिस्तर पर हों, यात्रा कर रहे हों और कुछ फुर्सत के काम कर रहे हों, इनको पढ़ सके। गाड़ी करती छुक छुक छुक, घंटी बजती टुन टुन टुन, गुड़िया नाचे छुन छुन छुन।  घोडा भागे टप टप टप, पानी बरसे छप छप छप।